सोहणी और महिवाल की प्रेम कहानी
पंजाब की ही धरती पर उगी एक प्रेम कथा है सोहनी-महिवाल की। सिंधु नदी के तट पर रहने वाले कुम्हार तुला की बेटी थी सोहनी। वह कुम्हार द्वारा बनाए गए बर्तनों पर सुंदर चित्रकारी करती थी।
उजबेकिस्तान स्थित बुखारा का धनी व्यापारी इज्जत बेग व्यापार के सिलसिले में भारत आया। सोहनी से मिलने पर वह उसके सौंदर्य पर मोहित हो उठा।
सोहनी को देखने के लिए वह रोज सोने की मुहरें जेब में भरकर कुम्हार के पास आता और बर्तन खरीदता। सोहनी भी उसकी तरफ आकर्षित हो गई। बाद में इज्जत बेग सोहनी के पिता के घर भैंसों को चराने की नौकरी करने लगा। पंजाब में भैंसों को महियां कहा जाता है इसलिए भैंसों को चराने वाला इज्जत बेग महिवाल कहलाने लगा। दोनों की मुलाकात मोहब्बत में बदल गई।
जब सोहनी की मां को यह बात पता चली तो उन्होंने महिवाल को घर से निकाल दिया। सोहनी की शादी किसी और से कर दी गई। लेकिन महिवाल तो सोहनी के बिना जी नहीं सकता था। इसलिए महिवाल ने अपने खूने-दिल से लिखा खत सोहनी को भिजवा दिया। सोहनी ने जवाब दिया कि मैं तुम्हारी थी और तुम्हारी ही रहूंगी।
सोहनी के प्यार में पागल महिवाल अपना घर, देश भूलकर फकीर हो गया। मगर दोनों प्रेमियों ने मिलना नही छोड़ा। रोज जब रात में सारी दुनिया सोती, सोहनी नदी के उस पार महिवाल का इंतजार करती, जो तैरकर उसके पास आता।
महिवाल बीमार हुआ तो सोहनी एक पक्के घडे की मदद से तैरकर उससे मिलने पहुंचने लगी। सोहनी की ननद ने एक बार उन्हें देख लिया तो उसने पक्के घडे की जगह कच्चा घड़ा रख दिया। सोहनी ने जल्दबाजी में वह कच्चा घड़ा उठाया और महिवाल से मिलने निकल पड़ी।
प्यार में बैचेन सोहनी कच्चे घड़े द्वारा नदी पार करने लगी। घड़ा नदी के बीच में ही टूट गया और सोहनी डूबने लगी। महिवाल उसे बचाने के लिए नदी में कूदा लेकिन वह भी डूब गया। सुबह मछुआरों के जाल में दोनों के जिस्म मिले जो मर कर भी एक हो गए थे। इस तरह यह दुख भरी प्रेम कहानी खत्म हो गई।
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