चौबोली की प्रेम कहानी Part2 - Best Love Story

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Tuesday, 25 December 2018

चौबोली की प्रेम कहानी Part2

चौबोली की प्रेम कहानी



आखिर दोनों मित्र साहूकार के बेटे की ससुराल चल दिए।रास्ते में राजा का बेटा तो बड़ी मस्ती से व मजाक करता चल रहा था और साहूकार का बेटा बड़ी चिंता में चल रहा था पता नहीं ससुराल वाले कुंवर की कैसी खातिर करेंगे यदि कोई कमी रह गयी तो कुंवर क्या सोचेगा आदि आदि।

चलते चलते रास्ते में एक देवी का मंदिर आया। जिसके बारे में ऐसी मान्यता थी कि वहां देवी के आगे जो मनोरथ मांगो पूरा हो जाता। कोढियों की कोढ़ मिट जाती, पुत्रहीनों को पुत्र मिल जाते। साहूकार के बेटे ने भी देवी के आगे जाकर प्रार्थना की- हे देवी माँ ! ससुराल में मेरे मित्र की खातिर व आदर सत्कार वैसा ही हो जैसी मैंने मन में सोच रखा है। यदि मेरे मन की यह मुराद पूरी हुई तो वापस आते वक्त मैं अपना मस्तक काटकर आपके चरणों में अर्पित कर दूँगा।

ऐसी मनोकामना कर वह अपने मित्र के साथ आगे बढ़ गया और ससुराल पहुँच गया। ससुराल वाले बहुत बड़े साहूकार थे, उनकी कई शहरों में कई दुकाने थी, विदेश से भी वे व्यापार करते थे इसके लिए उनके पास अपने जहाज थे। पैसे वाले तो थे ही साथ ही दिलदार भी थे उन्होंने अपने दामाद के साथ आये राजा के कुंवर को देखकर ऐसी मान मनुहार व आदर सत्कार किया कि उसे देखकर राजा का कुंवर खूद भौचंका रह गया। ऐसा सत्कार तो उसने कभी देखा ही नहीं था।
दोनों दस दिन वहां रहे उसके बाद साहूकार के बेटे की वधु को लेकर वापस चले। रास्ते में राजा का बेटा तो वहां किये आदर सत्कार की प्रशंसा ही करता रहा। साहूकार के बेटे ने जो मनोरथ किया था वो पूरा हो गया। रास्ते में देवी का मंदिर आया तो साहूकार का बेटा रुका।
बोला- आप चलें मैं दर्शन कर आता हूँ।
राजा का बेटा बोला- मैं भी चलूं दोनों साथ साथ दर्शन कर लेंगे।
साहूकार का बेटा- नहीं ! मैंने अकेले में दर्शन करने की मन्नत मांगी है इसलिए आप रुकिए।
साहूकार का बेटा मंदिर में गया और अपना सिस काटकर देवी के चरणों में चढा दिया। राजा के कुंवर ने काफी देर तक इन्तजार किया फिर भी साहूकार का बेटा नहीं आया तो वह भी मंदिर में जा पहुंचा। आगे देखा तो मंदिर में अपने मित्र का कटा सिर एक तरफ पड़ा था और धड एक तरफ।कुंवर के पैरों तले से तो धरती ही खिसक गयी। ये क्या हो गया? अब मित्र की पत्नी और उसके पिता को क्या जबाब दूँगा। कुंवर सोच में पड़ गया कि इस तरह बिना मित्र के घर जाए लोग क्या क्या सोचेंगे ? आज तक हम अलग नहीं रहे आज कैसे हो गए ? ये सब सोचते सोचते और विचार करते हुए कुंवर ने भी तलवार निकाली और अपना सिर काट कर डाला।

उधर साहूकार की वधु रास्ते में खड़ी खड़ी दोनों का इन्तजार करते करते थक गयी तो वह भी मंदिर के अंदर पहुंची और वहां का दृश्य देख हक्की बक्की रह गयी। दोनों मित्रों के सिर कटे शव पड़े थे।मंदिर में लहू बह रहा था। वह सोचने लगी कि - अब उसका क्या होगा? कैसे ससुराल में बिना पति के जाकर अपना मुंह दिखाएगी? लोग क्या क्या कहेंगे? यह सोच उसने भी तलवार उठाई और जोर से अपने पेट में मारने लगी तभी देवी माँ ने प्रकट हो उसका हाथ पकड़ लिया।

साहूकार की वधु देवी से बोली-  हे देवी! छोड़ दे मुझे और मरने दे। इन दोनों का तुने भक्षण कर लिया है अब मेरा भी कर ले।
देवी ने कहा- तलवार नीचे रख दे और दोनों के सिर उठा और इनके धड़ पर रख दे अभी दोनों को पुनर्जीवित कर देती हूँ। साहूकार की वधु ने झट से दोनों के सिर उठाये और धड़ों के ऊपर रख दिए। देवी ने अपने हाथ से उनपर एक किरण छोड़ी और दोनों जीवित हो उठे।देवी अंतर्ध्यान हो गयी।

पर एक गडबड हो गयी साहूकार की बहु ने जल्दबाजी में साहूकार का सिर कुंवर की धड़ पर और कुंवर का सिर साहूकार की धड़ पर रख दिया था। अब दोनों विचार में पड़ गए कि -अब ये पत्नी किसकी ? सिर वाले की या धड़ वाले की ? पलंग बोला- ' हे राजा ! विक्रमादित्य आप न्याय के लिए प्रसिद्ध है अत: आप ही न्याय करे वह अब किसकी पत्नी होगी? राजा बोला-  इसमें पुछने वाली कौनसी बात है ? वह महिला धड़ वाले की ही पत्नी होगी।

ये सुनते ही चौबोली बोली चमकी। गुस्से में भर कर बोली-  वाह ! राजा वाह ! बहुत बढ़िया न्याय करते हो। धड़ से क्या लेना देना, पत्नी तो सिर वाले की ही होगी। सिर बिना धड़ का क्या मोल।' राजा बोला- आप जो कह रही है वही सत्य है। बजा रे ढोली ढोल। चौबोली बोली पहला बोल।। और ढोली ने ढोल पर जोरदार डंका मारा  धे अब राजा ने चौबोली के कक्ष में रखे पानी के मटके को बतलाया- हे मटके! एक प्रहर तो पलंग ने काट दी अभी भी रात के तीन प्रहर बचे है।
तू  कोई बात बता ताकि कुछ तो समय कटे। मटका बोलने लगा राजा हुंकार देता गया - मटका- एक समय की बात है एक राजा का बेटा और एक साहूकार का बेटा बचपन से ही बड़े अच्छे मित्र थे। साथ रहते,साथ खेलते,साथ खाते-पीते। एक दिन उन्होंने बचपने व नादानी में आपस एक वचन किया कि -जिसकी शादी पहले होगी वह अपनी पत्नी को सुहाग रात को अपने मित्र के पास भेजेगा। समय बीता और बात आई गयी हो गयी।


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